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कविता

शब्द
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कविता

कोमल हृदय तरंगो की , सरगम होती है कविता
शीर्षक के शब्दो को देती , अर्थ सदा पूरी कविता

सजल नयन और तरल हृदय ,परपीड़ा से हो जाता है
हम सब में ही छिपा कवि है ,बता रही हमको कविता

छंद बद्ध हो या स्वच्छंद हो , अभिव्यक्ति का साधन है
मन के भावो का शब्दो में , सीधा चित्रण है कविता

कोई दृश्य , जिसे देखकर ,भी न देख सब पाते हैं
कवि मन को उद्वेलित करता , तब पैदा होती कविता

कवि की उस पीड़ा का मंथन , शब्द चित्र बन जाता है
दृश्य वही देखा अनदेखा , हमको दिखलाती कविता

लेख, कहानी, व्यंग विधायें, लिखने के हथियार बहुत
कम शब्दो में गाते गाते , बात बड़ी कहती कविता

विवेक रंजन श्रीवास्तव “विनम्र ”
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो ९४२५८०६२५२

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