Menu
blogid : 9743 postid : 1005077

समय का यह कैसा दौर है .

शब्द
शब्द
  • 82 Posts
  • 102 Comments

फेसबुक पर मेरे लगभग ५००० दोस्त हैं , ज्यादातर रचनाधर्मी , कलाप्रेमी , व्यंग , नाटक , कविता , पुस्तक प्रेमी मेरे से ही …अनेको से मै कभी व्यक्तिगत रूप से मिला तक नहीं पर कहते हैं न बर्डस आफ सेम फैदर फ्लाई टुगेदर .. किसी को मेरी कोई रचना भा गई , तो किसी को मैने साहित्य संसार से ढ़ूंढ़ निकाला ..
अब हम परस्पर प्रशंसक , आलोचक , सम सामयिक मुद्दो पर चर्चा में त्वरित टिप्पणीकार , उपलब्धियो में परस्पर पीठ ठोकने वाले सुख दुख में भागीदार फेसबुक मित्र हैं महीं मालूम कब किसे , कौन कहां कभी मिलेगा भी या नहीं . पर जब हम फेसबुक के चौराहे पर मिल जाते हैं तो स्वस्थ मित्रता के सारे रिश्ते निभते हैं .
हम वर्चुएल दुनियां के रियल किरदार हैं . मैं मोबाइल से ही इस फेसबुक नगरी में भ्रमण करता रहता हूं , अतः त्वरित रूप से सबसे जुड़ा होता हूं , शायद इतनी तेजी से शहर या आफिस के मिलने वाले मित्रो से भी संपर्क नहीं रह पाता जितनी तेजी से फेसबुक मित्रो से संपर्क में रहता हूं
सोचता हूं , समय का यह कैसा दौर है .

Tags:      

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply